ना ब्राह्मण, ना क्षत्रिय, ना बनिया, ना जाट, तुम हिंदू हो: _ शक्ति सिंह ठाकुर की कविता

ना ब्राह्मण, ना क्षत्रिय, ना बनिया, ना जाट — तुम हिंदू हो

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ना ब्राह्मण ना क्षत्रिय ना बनिया ना जाट तुम हिन्दू हो,
तुम रामेश्वरम की जलधारा, हिमालय का ललाट तुम हिन्दू हो।

हो कृष्ण की बांसुरी, महाराणा की तलवार तुम हिन्दू हो
हो कुरुक्षेत्र का महायुद्ध, गीता का सार तुम हिन्दू हो।

चंदशेखर, शहीद भगत, बोस की आहुति तुम हिन्दू हो
परमहंस, विवेकानन्द, कबीर की जागृति तुम हिन्दू हो।

आर्यभट्ट का विज्ञान हो, चरक की संहिता तुम हिन्दू हो
तुम अशोक तुम चन्द्रगुप्त, तुम विश्वविजेता हिन्दू हो।।

तुम सीता तुम लक्ष्मीबाई, पद्मावती तुम हिंदू हो
तुम खड्ग हो दुर्गावती की, जय महासती तुम हिंदू हो।।

तुम स्वयं बुद्ध, महावीर, हो सरस्वती तुम हिंदू हो
तुम वंशज हो रामचंद्र के, हे जगतपति तुम हिंदू हो।।

ना झुकने दे धर्म ध्वज कभी, चाहे जाए प्राण तुम हिन्दू हो
केवल तुम हो सनातनी, करो अभिमान तुम हिन्दू हो।।

(रचनाकार शक्ति सिंह ठाकुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी के निवासरत रायपुर के प्रखर राष्ट्रवादी, युवा रचनाकार हैं)

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